सब्र का फल मीठा होता हैं
जिनमे धैर्यता होती है, उन्हें कर्मो का फल ज्यादा अच्छा मिलता हैं. धैर्यता ही एक ऐसा गुण है, जो मनुष्य को शिखर तक ले जाता हैं. हिम्मत और धैर्य ही सफलता के मुख्य बिंदु हैं, इसलिए हमे किसी भी परिस्थिती में धीरज का साथ नहीं छोड़ना चाहिये.
सब्र का फल मीठा होता हैं, इस मुहावरे पर लिखी इस कहानी को अवश्य पढ़े और जाने कि कैसे तारों में ईर्षा का भाव जागता हैं और कैसे नारद मुनि उन्हें सब्र का फल मीठा होता हैं, का पाठ सिखाते हैं.
यह एक प्रेरणादायक कहानी हैं, जो कई बार मनुष्यों में जीवन का सलीका सीखने के काम आती हैं.
सब्र का फल मीठा होता हैं [Sabra Ka Phal Meetha Hota Hain]
तारों की इर्षा
संध्याकाल के बीतते ही जब आसमान में काली घटायें छाने लगती हैं. तब तारों के बीच आसमान में निकलने की प्रतिस्पर्धा होने लगती हैं. सभी को आसमान में प्रकट होने की जल्दी रहती हैं. जैसे – जैसे समय बीतता जाता हैं, उनमें आसमान में छा जाने की तीव्रता और अधिक तेजी से बढ्ने लगती हैं. और इस तरह ऐसे अनगिनत तारे आसमान में छा जाते हैं, लेकिन वो जितनी तेजी से आते हैं. उन पर उतना ध्यान केन्द्रित नही होता, वो आपसी होड़ में जल्दबाजी करने लग जाते हैं इसलिए हर एक पर किसी की नजर नहीं जाता और उनकी सुंदरता फीकी पड़ जाती हैं.
लेकिन,जब स्वाति नक्षत्र का आसमान में आगमन होता हैं, वो बड़ी धैर्यता से आसमान में फैलती हैं और इस कारण सभी स्वाति नक्षत्र की तरफ आकर्षित हो जाते हैं. और चेहरे पर मुस्कान के साथ हर कोई स्वाति नक्षत्र की आभा का वर्णन करता है, उसकी सुंदरता में खो जाता हैं.
प्रतिस्पर्धा में फँसे तारे केवल एक कौने में ही रह जाते हैं. और इस तरह से स्वाति नक्षत्र की प्रशंसा सुन सभी तारों में ईर्षा का भाव आ जाता हैं और वो अपनी व्यथा नारद मुनि से जाकर कहते हैं.
तब नारदजी उन्हें समझाते हैं कि संसार में उसी की ख्याति होती हैं जिनमे धैर्य होता हैं. प्रतिस्पर्धा आवश्यक हैं, पर जो अधिक उतावलापन दिखाते हैं. उन्हें लोग अक्सर ही उन्हें अनदेखा कर देते हैं. हमेशा कीमत सब्र की होती हैं, इसलिए कहते हैं. सब्र का फल मीठा होता हैं. नारद जी कहते हैं तुम सभी तारों में धैर्य नहीं हैं और स्वाति नक्षत्र में अपार धैर्य हैं, जिसके कारण उसकी ख्याति तुम से कई अधिक हैं. और वो अधिक सम्मान पाता हैं. और इस तरह सभी तारों को सब्र का फल मीठा होता हैं, यह बात समझ आ जाती हैं.
सामान्य जीवन में “सब्र का फल मीठा होता हैं” का उदाहरण :
सब्र का फल मीठा होता हैं, यह बात अक्सर मैंने महसूस की है. मैं हमेशा से अपने काम में आने वाली बढोत्तरी अथवा कमी से उतावली होकर खुश या दुखी हो जाती हूँ, जिस पर मुझे बाद में अहसास होता है कि सब्र का फल मीठा होता हैं. किसी भी कार्य को करने के बाद उसके परिणाम के लिए उतावलापन दिखाना ही उस कार्य के प्रति हमारा पहला गलत व्यवहार होता हैं. हमें हमेशा वक्त देना चाहिये और शांति से अवलोकन करना चाहिये. जल्दबाजी में समान्यतः निराशा ही हाथ आती हैं या कई बार हमसे बड़ी गलती भी हो जाती हैं.
धैर्य ही एक सफल बिज़नेस मेन होने की पहचान देता हैं. जिसमे धैर्य नही होता, उसे कामयाबी नहीं मिलती. धैर्य ही एक ऐसा गुण हैं, जो हर परिस्थिती में मनुष्य का दिमागी संतुलन बना सकता हैं. साथ ही विकट परिस्थती से बाहर निकाल सकता हैं, इसलिए सब्र का फल मीठा होता हैं. सब्र से ही व्यक्ति में लंबा चल पाने का भाव पैदा होता हैं और वो कठिन समय में भी अपना पूरा योगदान दे पाता हैं.
सब्र का फल मीठा होता हैं .
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