सोच बदलो, जीवन बदलने के विचार।
एक गांव में सूखे की वजह से गांव के सभी लोग बहुत परेशान थे, उनकी सफलता खराब हो रही थी, बच्चे वक्र-प्यासे मर रहे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था की इस समस्या का समाधान कैसे आवंटन जाय।
उसी गांव में एक विद्वान विद्वान रहते थे।
गांव वालो ने फैसला लिया कि उनके पास इस समस्या का समाधान मांगे जाने के लिए, सभी लोग महात्मा के पास गए और उन्हें अपनी पूरी परेशानी का विस्तार से बताया, महात्मा ने कहा कि आप सब मुझे एक हफ्ते का समय दीजिए मैं आपको कुछ समाधान ढूंढकर लाऊंगा हूँ।
गाँव वालो ने कहा ठीक है और महात्मा के पास से चले गए। एक हफ्ते में आंकड़े मिले लेकिन साधू महात्मा कोई भी हल न जा सके और उन्होंने गांव वालो से कहा कि अब तो आप सबकी मदद केवल ऊपर की स्थिति में वो भगवान ही कर सकते हैं। अब सब भगवान की पूजा करें भगवान को खुश करने के लिए, और भगवान ने उन सबकी सुन ली और उन्होंने गांव में अपना एक दूत भेजा। गाँव में पहुँचे दूत ने सभी गाँव वालो से कहा कि “आज रात को अगर तुम सब एक-एक लोटा दूध गाँव के पास वाले उस कुवे में बिना देखे डालोगे तो कल से तुम्हारे गाँव में घनघोर बारिश होगी और तुम्हारी पूरी परेशानी दूर हो सकती है। ” इतना देश देश दूत वहा से चला गया।
गाँव वाले बहुत खुश हुए और सब लोग उस कुवे में दूध डालने के लिए तैयार हो गए लेकिन उसी गाँव में एक कंजूस इंसान रहता था उसने सोचा कि सब लोग तो दूध ही देंगे अगर मैं दूध की जगह एक लोटा पानी डाल देता हूँ तो किसको पता चल रहा है।
रात को कूवे में दूध डालने के बाद सारे गांव सुबह उठकर बारिश के होने का इंतेजर करने लगे लेकिन मौसम वैसा ही दिख रहा था और बारिश के होने की रास्ता भी नहीं दिख रहा था। देर तक बारिश का इंतेजार करने के बाद सब लोग उस कुवे के पास पहुंचे और जब उस कुवे में देखा तो कुवा पानी से भरा हुआ था और उस कुवे में दूध का एक गुच्छा भी नहीं था।
सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे और समझ गए कि बारिश अभी तक क्यों नहीं हुई। और इसलिए क्योंकि उस कंजूस व्यक्ति की तरह सारे गांव वालो ने भी यही सोचा था कि सब लोग तो दूध देंगे ही, मेरे एक लोटा पानी डाल देने से क्या फर्क पड़ता है। और इसी चक्कर में किसी ने भी कुवे में दूध का एक बूंद भी नहीं डाला और कुवे को पानी से भर दिया।
शिक्षा:-
मोरल ऑफ द स्टोरी इसी तरह की
गलती कल हम अपने वास्तविक जीवन में भी रहते हैं, हम सब मानते हैं कि हमारे साथ कुछ करने से आज क्या होता है लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि “बांड-बांड से सागर बनता है।“
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Drx. Pb! एक स्वतंत्र लेखक, स्वास्थ्य और जीवंतता और आत्म-विकास के प्रबल विश्वासी हैं। 4 -5 साल से अधिक समय से लेखन उद्योग में होने के कारण, पीबी के पास ज्ञान का संग्रह है जिसे वह अपने लेखों के साथ साझा करना और चर्चा करना पसंद करते हैं। उन्हें आत्म सुधार और व्यक्तित्व विकास के बारे में लिखना पसंद है।🖋 🖋
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