🌹 बौद्ध दर्शन का एक सूत्र वाक्य है- " अप्प दीपो भव " अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो । 🪔🌹
💠तथागत सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के कहने का मतलब यह है कि किसी दूसरे से उम्मीद लगाने की बजाये अपना प्रकाश ( प्रेरणा ) खुद बनो ।
• खुद तो प्रकाशित हों ही , लेकिन दूसरों के लिए भी एक प्रकाश स्तंभ की तरह जगमगाते रहो ।
* भगवान गौतम बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनन्द से उसके यह पूछने पर कि जब सत्य का मार्ग दिखाने के लिए आप या कोई आप जैसा पृथ्वी पर नहीं होगा तब हम कैसे अपने जीवन को दिशा दे सकेंगे ?❓
=💠 तो भगवान बुद्ध ने ये जवाब दिया था “अप्प दीपो भव ” अर्थात अपना दीपक🪔 स्वयं बनो ।
# कोई भी किसी के पथ के लिए सदैव मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकता केवल आत्मज्ञान के प्रकाश से ही हम सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं ।
💠भगवान बुद्ध ने कहा , तुम मुझे अपनी बैसाखी मत बनाना । तुम अगर लंगड़े हो , और मेरी बैसाखी के सहारे चल लिए कितनी दूर चलोगे ?❓
मंजिल तक न पहुंच पाओगे। आज मैं साथ हूं , कल मैं साथ न रहूंगा , फिर तुम्हें अपने ही पैरों पर चलना है।
° मेरी साथ की रोशनी से मत चलना क्योंकि थोड़ी देर को संग - साथ हो गया है अंधेरे जंगल में ।
तुम मेरी रोशनी में थोड़ी देर रोशन हो लोगे ; फिर हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे ।
मेरी रोशनी मेरे साथ होगी, तुम्हारा अंधेरा तुम्हारे साथ होगा। अपनी रोशनी पैदा करो ।
🥰🪔 -- || अप्प दीपो भव ! -🪔 | अप्प दीपो भव :
• जिसने देखा , उसने जाना ।
• जिसने जाना , वो पा गया ।
• जिसने पाया , वो बदल गया ,
अगर नहीं बदला तो समझो कि उसके जानने में ही कोई खोट था ।
🔺 · भगवान बुद्ध को जाना तो बुद्दत्व तक पहुचेंगे तुम नहीं तुम भगवान बुद्ध की पूजा करने से नहीं पहुचोगे न ही किसी अन्य की पूजा करने से या चेला बनने से | तुम खुद जानोगे तभी तुम पहुचोगे ।
🖊️भारत वर्ष में भगवान बुद्ध का विरोध क्यों हुआ ? ❓
क्योंकि तथागत बुद्ध ने चमत्कार को ख़ारिज कर दिया और तर्क को स्थान दिया और ब्राह्माणवादी मान्यताओं को खारिज कर दिया ।
संसार में किसी ने सबसे पहले यह सवाल उठाया कि जैसे अन्धविश्वास , पाखंड , कर्मकांड , आडम्बर इन सब का मानव विकास में कोई योगदान नहीं हैं बल्कि ये मानव के विनाश का कारण बनता ।
💠भगवान बुद्ध ने आगे कहा वह ईश्वर के होने या न होने के प्रश्न को अनावश्यक बताया ।
ईश्वर पर निर्भर न रहकर अपने मार्ग और भला खुद ही करने की शिक्षा दी है भगवान बुद्ध के अनुसार धर्म का अर्थ ईश्वर , आत्मा , स्वर्ग नर्क , परलोक नही होता ?❓
🔺 बुद्ध ने वैज्ञानिक तरीके से ईश्वर , आत्मा , स्वर्ग , नर्क , परलोक , के अस्तित्व को ही नकारा और ध्वस्त किया है |
• संसार भर के इतिहास में भगवान बुद्ध एक मात्र ऐसे धम्म प्रचारक है जो व्यक्ति को तर्क और विज्ञान के विपरीत किसी भी बात में विश्वास करने से रोकते है |
💠 भगवान बुद्ध कहते है , जिसे ईश्वर कहते है उससे मेरा कोई लेना - देना ( सम्बन्ध ) नही है ?❓
किसी बात को केवल इसलिए स्वीकार मत करो क्यो कि मैंने इसे करने को कहा है । इसलिये भी मत स्वीकार करो कि किसी धर्म ग्रन्थ में लिखा है ।
इसलिए भी स्वीकार मत करो कि ये प्राचीन परम्परा है ।
° किसी भी बात को मानने से पहले अपनी तर्कबुद्धि से परखो अगर उचित है तो उसका अनुकरण करो नही तो त्याग दो |
# भगवान बुद्ध के जैसे स्वतंत्रता किसी भी अन्य धर्म ने नही दी है |
# भगवान बुद्ध ने स्वयं को मार्ग दर्शक कहा है और कभी भी विशेष दर्जा नही दिया |
# बुद्ध धम्म में नैतिकता पर ज्यादा जोर दिया गया है ।
# * अन्य धम्म में जो स्थान ईश्वर का है वही स्थान बुद्ध धम्म में नैतिकता का है |
👌🌹भगवान बुद्ध का कहना है ***
🪔अप्प् दीपो भव् 🪔॥ ||
** अर्थात ...💐 अपना प्रकाश खुद बनो .🪔🪔... !!!! ।।।।
🌹👌🌹 नमो बुद्धाय ।।।💐🌹🥰👌

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